13.3.24

दर्जी जाति की यादगार सामाजिक घटना है नि:शुल्क सामूहिक विवाह, Nishulk Darzi mass marriage Boliya






किसी भी जाति समुदाय के क्षितिज में जाज्वल्यमान नक्षत्र की तरह ऐसी घटनाएं होती हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बनकर समाज के लिए गौरव का विषय होती हैं.ऐसी ही एक घटना है १३ अप्रैल २०१० को बोलिया (गरोठ) में आयोजित  दरजी समाज का  नि:शुल्क सामूहिक विवाह सम्मलेन.आयोजन का  वित्त पोषण समाज सेवी  डॉ.दयाराम जी आलोक द्वारा किया गया. 
  बंधुओं ,अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ के तत्वावधान मे बोलिया ,मध्य प्रदेश मे दामोदर वंशीय दर्जी समाज का प्रथम निशुल्क सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस वैवाहिक उत्सव में सम्पूर्ण दर्जी समाज को आमंत्रित किया गया. समाज का पहिला नि:शुल्क सम्मलेन होने और दामोदर दरजी महासंघ द्वारा इसके पहिले कई सामूहिक विवाह सम्मलेन आयोजित करने की परम्परा से प्रेरित होकर हजारों लोगों ने कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से गोरवान्वित किया.
इस सम्मलेन पर समाज सेवी श्री रमेश जी राठौर आशुतोष ने एक विस्तृत रिपोर्ट का लेखन किया .हम उस रिपोर्ट को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं .


दामोदर वंशीय दर्ज़ी समाज के प्रथम नि:शुल्क सामूहिक विवाह सम्मलेन पर श्री रमेश जी राठौर आशुतोष का आलेख


 श्री रमेशचन्द्र राठौर आशुतोष ,शामगढ

 द्वारा एक रिपोर्ट 







     
 मन में संकल्प शक्ति हो और कुछ कर दिखाने की चाहत दिल में हो तो क्या संभव नहीं है? ऐसे ही व्यक्तित्व का परिचय आप सबके बीच है ,जिन्होने निस्वार्थ भाव से समाज हित के कार्य किये हैं।दामोदर दर्जी महासंघ के संस्थापक एवं संचालक डॉ.दयाराम जी   आलोक  ने महासंघ के झंडे तले छे (६) सामूहिक विवाह सम्मेलन करवाये हैं।सच तो ये है कि   मन्दसौर जिले में  सामूहिक विवाह की शुरूआत ही  डॉ. साब  के द्वारा  सन १९८१ में रामपुरा नगर में प्रथम सम्मेलन के रूप में की गई  थी।    
अपने अदम्य आत्म विश्वास के बलबूते आपने बोलिया कस्बे  मे १३ अप्रेल २०१० के पूर्णतया नि:शुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन की घोषणा कर सबको अचंभित कर दिया।ऐसा करना उन लोगों को अच्छा नहीं लगा जो काम में नहीं नाम में विश्वास करते हैं। उनके द्वारा अनर्गल प्रचार शुरू कर  इस सम्मेलन में सम्मिलित होने वाले जोडों को यह कहकर भडकाना शुरू कर दिया  कि  नि:शुल्क विवाह करवाकर आप जिन्दगी भर की टांकण अपने सिर पर रखना चाहोगे क्या  ?  कुछ लोग भ्रमित हुए भी।




   १३ अप्रेल,२०१० मंगलवार: प्रात: ९ बजे आचार्य श्री राजेश जी शर्मा  के द्वारा गणपति पूजन डॉ .आलोक  साहेब के सानिध्य में संपना हुआ।  सम्मेलन परिसर में चाय नाश्ते की नि:शुल्क  व्यवस्था रखी गई थी।

चाय के लिये अलग टी स्टाल लगाया गया थाडॉ .अलोकिक लक्षमीनारायण जी (मित्रलिपि संस्थान के संचालक)  शामगढ के सहयोग से चाय की व्यवस्था दिन भर चलती रही।          
  पानी की व्यवस्था की कमान श्री रामचन्द्रजी देशभक्त शामगढ  के दोनों पुत्रों (दिलीपजी और विष्णुजी राठौर) ने संभाली। इनकी सहयोग राशि से  से बर्फ़ के ठंडे पानी की व्यवस्था चलती रही जिसकी लोगों ने मुक्त कंठ से   प्रशंसा  की।



  


डॉ . अनिल कुमार जी दामोदर, की तरफ़ से पोहा-जलेबी का नाश्ता संचालित किया गया  जो प्रात:८ बजे से १० बजे तक चला। वर-वधू के सभी पक्षों और सम्मलेन में पधारे सभी लोगों  ने  इन नि:शुल्क व्यवस्थाओं का भरपूर आनंद लिया।


       
   इसके पश्चात प्रात: १० बजे से ही मेहमानों के लिये भोजन शाला शुरू करने की मंच से घोषणा हुई। भोजन परोसने हेतु कोटडा बुजुर्ग से ७५ व्यक्ति बुलवाये गये थे जिन्होने मेहमानों की मेहमानवाजी में कोइ कसर नहीं छोडी।






    भोजन शाला प्रात: १० बजे से प्रारंभ होकर सम्मेलन समापन की घोषणा के बाद भी चलती रही। यह एक कीर्तिमान ही माना जा सकता है। आगंतुक मेहमानों की गणना इस बात से लगाई जा सकती है कि भोजन शाला में खपत पत्तलों की संख्या ४ हजार ५ सौ रही। तपती गर्मी में  बर्फ़ का ठंडा पानी मिल जाए तो पूरी संतुष्टि। सम्मेलन के कार्यकर्ताओं ने दिन भर बर्फ़ीले पानी की सेवा की। समय-समय पर वर-वधू के आवासों में भी पानी पहुंचाने की व्यवस्था अनुकूल रही। यह व्यवस्था रामचंद्र जी देशभक्त शामगढ की तरफ़ से की गई थी।



इसके बाद  सर्व प्रथम मंच से  बोलियों का कार्यक्रम  शुरु हुआ।  निर्धारित धोली कलश प्रथम एवं द्वीतीय,जल कलश प्रथम एवं द्वितीय की बोलियां लगाईं गई जिसमें सभी बंधुओं ने बढ चढकर भाग लिया।
 धोली कलश प्रथम श्री  रघुनाथजी भावसार के नाम पर ३५०० रू .पर समाप्प्त हुई।रघुनाथजी की पुत्रवधू सरोज बाला गांव बोलिया की सरपंच  हैं।
  श्री मति रघुनाथ जी भावसार  जल कलश प्रथम  उठाये हुए.







धोली कलश द्वितीय श्री राधेशामजी चौहान लाईन मेन शामगढ के नाम पर २२५० रू. की बोली पर समाप्त हुई।
  अंतिम बाला -संजय जी  चौहान जल कलश द्वितीय  उठाये हुए-






इसी प्रकार जल कलश प्रथम ५०१ रू.तथा द्वितीय २५१ की बोली पर क्रमश: सर्व श्री माँगीलाल जी चौहान बोलिया  और भंवरलाल जी चौहान संजीत के नाम बोली समाप्त हुई।
   इसके बाद आई दामोदर ध्वजा की बोली जो निरंतर बढते हुए श्री रमेशजी राठौर शामगढ के नाम ३५०१ रू. की बोली पर समाप्त हुई।





   ज्ञातव्य  है कि रमेश जी  राठौर ने समाजोपयोगी दो स्मारिकाओं का संपादन किया  है पहली "समाज दर्शन "१९९३ में और दूसरी सन २००० में" समाज ज्ञान  गंगा "। ये दोनो पुस्तकें आज भी समाज की जानकारी के लिये संदर्भ ग्रन्थो के रूप मे प्रचलित हैं।
 चल समारोह के पूर्व डॉ.दयाराम जी आलोक  ने उन सभी महानुभावों  को साफ़ा बांधकर और श्री फ़ल भेंट कर सम्मानित किया  जिन्होने नि:शुल्क  सम्मेलन में   ५०० रूपये से अधिक का सहयोग दिया था।



डॉ. दयाराम आलोकजी  दर्जी बंधुओं को साफा- श्रीफल  से सम्मानित करते  हुए-



 इन सहयोगकर्ताओं के नाम के बेनर भी बनवाकर सम्मेलन पांडाल में लगाए गए थे।इन बेनरों की कम्प्युटर डिजाईनिंग राहुल कुमार जी राठोर द्वारा की  गई।जिन  व्यक्तियों  को  साफ़ा और श्री फ़ल अर्पित कर सम्मानित किया गया उनके नाम  और चित्र इस प्रकार हैं-

श्री  रमेश चन्द्र जी राठौर आशुतोष शामगढ़ 









श्री राधेशामजी चौहान लाईन मेन शामगढ,














श्री सुरेश चन्द्र जी पंवार डग,


श्री विनोद कुमार जी चौहान इंजीनियर ,झाबुआ,







श्री मोहनलाल जी राठौर शामगढ,











श्री रमेश चंद्र जी मकवाना कोटा,














श्री डॉ.कैलाशा जी चौहान जग्गा खेडी 

 






श्री नंदराम जी सोलंकी गरोठ,




श्री रामचन्द्र जी देशभक्त शामगढ,







श्री जगदीश जी चौहान नीमच,










श्री प्रकाश जी  सोलंकी  ठेकेदार शामगढ,













श्री अमरचन्द जी सोलंकी बोलिया ,




श्री हेमेन्द्र कुमार जी टेलर  झाबुआ









श्री भंवरलाल जी चौहान संजीत,








श्री राजेंद्र कुमार जी परमार रानापुर,











                                                                                                                                                                                                               

                            
                                                                                                                                                                                                                                           



 श्री भगवती लालजी चौहान संजीत,



                                                                                                                                                                                                                                     



 श्री प्रदीपजी सोलंकी नीमच,














श्री शिवशंकर जी चौहान नीमच,












श्री रमेश चंद्र  जी चौहान, बोलिया















श्री मांगीलाल जी चौहान बोलिया,





श्री रमेशजी मकवाना रतनगढ (नीमच),

श्री कमल किशोरजी मकवाना नीमच,













श्री घनशाम जी चौहान हथुनिया,













श्री प्रकाश जी नवीन टेलर डग,




श्री नारायण जी राठौर बोलिया,



श्री गोर्धन जी पंवार दुहनिया,




श्री बालमुकंद जी बाघेला डग,



श्री बालाराम जी परमार खारखेडा वाले बोलिया,




श्री संतोष कुमार जी सिसोदिया मेलखेडा,







श्री मांगीलालजी परमार बोलिया,





 श्री प्रवीण जी परमार राणापुर,


अमर चंद  जी राठौर बोलिया .

 श्री अमरचन्द 




         
इस प्रथम नि:शुल्क विवाह आयोजन की आशातीत सफ़लता के मध्येनजर  भवानी मंडी के नवयुवक मंडल के पदाधिकारियों ने समाज की ओर से आलोकजी का साफ़ा बांधकर, श्री फ़ल भेंट कर और स्मृति चिन्ह प्रदान कर  अभिनंदन किया। दामोदर बंधुओं को   ऐसे सामाजिक कार्यक्रमों  के आयोजकों की मेहनत और लगन को कभी नजर अंदाज नहीं करना चाहिये । यह गौरव का विषय है कि मन्द्सौर जिले के दो कीर्तिमान दर्जी समाज  के नाम करने  का श्रेय  श्री  दयाराम जी आलोक को ही है।



      
सन १९८१ में मंदसौर जिले का प्रथम सामुहिक सम्मेलन रामपुरा नगर में दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले आलोक जी के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।
और जहां तक नि:शुल्क सम्मेलन की बात है ,बोलिया ग्राम में मंदसौर जिले का यह प्रथम नि:शुल्क सामूहिक विवाह होकर यह कीर्तिमान भी .दयाराम जी आलोक के खाते में इतिहास में दर्ज रहेगा। किसी भी अन्य समाज में अभी तक तो नि:शुल्क सम्मेलन मंदसौर जिले में नहीं हुआ है।
रात-दिन मेहनत करके और निंदा करने वालों के तरह तरह के ताने सुनकर भी जो व्यक्ति हिम्मत पस्त न होकर निरंतर समाज हित की योजनाओं में लगा रहता हो ,समाज की तरफ़ से भी ऐसे व्यक्ति का सम्मान क्या जरूरी नहीं है?


 

दामोदर भवन में जल कलश भरने का दृश्य -








      बंधुओं, सम्मान समारोह के बाद  अब आई चल समारोह की बारी। सभी लहरिया साफ़ा धारी  मर्द और उनके ठीक आगे दामोदर महाराज का ध्वज लिये रमेशजी राठौर ,बैन्ड बाजे,ढोल एवं धोली कलश जल कलश उठाकर कतारों में चलती महिलाएं ।









शोभा यात्रा  के कुछ चित्रों की बानगी  प्रस्तुत है-









शोभा यात्रा का चित्र -





शोभा  यात्रा के  चित्र -





समेलन के चित्र  इस लिंक में भी हैं-
https://www.flickr.com/photos/45029042@N08/sets/72157644865375150/



 यह था जूलूस का सेटिंग।  चल समारोह सम्मेलन प्रांगण से दामोदर भवन तक और फ़िर वापसी में सम्मेलन पांडाल पहुंचा। चल समारोह की विडियोग्राफ़ी दुर्लभ  दृष्यों से परिपूर्ण।

     विवाह मंडप में पहुंचते ही लाडियों को विवाह वेदी पर बुलवाया गया। दूल्हों को तोरण रस्म के लिये आमंत्रित किया गया। इसी बीच सम्मेलन में आमंत्रित विशिष्ठ अतिथियों का आगमन हुआ।     


 
        आगंतुक महानुभाओं में पूर्व विधायक श्री राजेशजी यादव,गरोठ नगर पंचायत अध्यक्ष  श्री राजेशजी चौधरी और महाविद्यालय गरोठ के अध्यक्ष  श्री चंदरसिंहजी सिसोदिया अपने सहयोगी साथियों के साथ पधारे थे।  डॉ.आलोक साब  ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। अपने उद्बोधन में पूर्व विधायक महोदय ने सम्मेलन की उपयोगिता  पर प्रकाश डालते हुए नव जोडों के उज्वल भविष्य की कामना की।



    दूल्हों ने तोरण मारा।








    अब प्रत्येक जोडे को एक के बाद एक  स्टेज पर रखे  भव्य  आसन  पर बिठाकर उनके माता-पिता और परिजनों द्वारा आशीर्वाद देते हुए विडियो ग्राफ़ी की गई। स्टेज शो का ऐसा कार्यक्रम अन्य सम्मेलनों में  क्या आपने कभी देखा है? ऐसी व्यवस्था विरले ही देखने को मिलती है।  यह कार्यक्रम अत्यंत आकर्षक रहा और दर्शकों ने बहुत प्रशंसा की।






















  कहने का मतलब ये कि सम्मेलन की हर व्यवस्था इतनी उम्दा ,चाक-चौबंद और सुनियोजित थी कि दर्शकों का मन मोह लिया। 
         प्रत्येक कन्या को  दी गयी डायचे की वस्तुएँ-


  ३१ गृहोपयोगी बर्तन जिसमें कूकर भी शामिल।

स्टील की आल्मारी गोदरेज टाईप नग एक

प्लाई पलंग एक

रजाई,गादी,तकिये का एक सेट

इनके अलावा ११-११ बर्तन धार्मिक किताबें और हर जोडे को २७०१ रू. कन्यादान के प्रदान किये गये।




 आचार्य श्री राजेशजी  शर्मा ने वैदिक विधि-विधान से पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया।  ४.बजकर ३० मिनिट पर अध्यक्ष  महोदय  ने सम्मेलन समापन की मंच से घोषणा की। दर्जी बंधुओं  से निवेदन किया गया कि शाम का भोजन करने के बाद ही घर  जाएं।



      
  इसके बाद वर-वधू पक्षों को सेव मिठाई के पेकेट बनाकर वितरित किये गये। जिन महिलाओं और पुरुषों ने कन्यावर रखा था  उनके लिये भोजन शाला में भोजन की व्यवस्था समापन पश्चात भी निरंतर चालू रखी गई।
  कहना न होगा यह ऐसा आदर्श विवाह सम्मेलन हुआ है जिसने लोगों के दिमाग में सन १९९१ में हुए शामगढ के सम्मेलन की याद ताजा  कर दी। वह सम्मेलन भी अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले श्री भेरूलाल जी राठौर शामगढ़ की अध्यक्षता  में आयोजित  हुआ था|  यह भी बताने की जरूरत शायद ही हो कि दामोदर दर्जी महासंघ  द्वारा रामपुरा नगर में आयोजित किये गए  सन १९८१ और १९८३  के सामूहिक विवाह सम्मलेन  अपनी उज्जवल  गौरव गाथा  समेटे दर्जी समाज के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं|

कोई टिप्पणी नहीं: