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प्राचीन नगर जूनागढ़ (गुजरात) जहां दर्जी समाज के महान संत एवं गुरु दामोदर जी महाराज का आविर्भाव हुआ आज भी दर्जी समाज की आस्था का केंद्र बना हुआ है| संत दामोदर जी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1424 चैत्र मास की पूर्णिमा (5अप्रैल 1367) को गुजरात के जूनागढ़ के एक आध्यात्मिक परिवार मे हुआ था|उनके पिता का नाम हेमचन्द्र और माता का नाम जयंती था| हेमचन्द्र जी श्री कृष्ण के परम भक्त थे| और परिवार मे धार्मिक अनुष्ठान होते रहते थे| पारिवारिक आध्यात्मिकता से प्रभावित दामोदर जी महाराज ने आजीवन ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए एक समाज सेवक और धर्मोपदेशक का जीवन निर्वाह करने का संकल्प लिया| संत दामोदर जी महाराज के समकालीन हिन्दू संत श्री रामानंदाचार्यजी हुए थे। दामोदर वंशी दर्जी समाज के आदि पुरुष पूज्य दामोदर जी महाराज हैं। उन्हें समाज के संस्थापक और आराध्य देव के रूप में माना जाता है।दामोदर जी महाराज को समाज के लोग पूजते हैं और उनकी कथाओं और कहानियों को सुनते हैं। दामोदर जी महाराज का जीवन सादगी और सेवा से भरा हुआ था। दामोदर जी महाराज एक महान संत थे जिन्होंने समाज के लिए कई महत्वपूर्ण संदेश दिए। उनकी रचना, "दामोदर दोहावली" में सामाजिक समरसता और सद्भाव की अवधारणा को बहुत ही सुंदरता से व्यक्त किया गया है। संत दामोदर जी महाराज के उपदेशों और ज्ञान की महानता के कारण, उनके अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। वे दामोदर वंशी के नाम से जाने जाने लगे,जो उनके नाम और उनके अनुयायियों के बीच एक गहरा संबंध दर्शाता है। संत दामोदर जी एक महान आध्यात्मिक गुरु और संत थे, जिन्होंने गुजरात और भारत के अन्य हिस्सों में अपने ज्ञान और उपदेशों का प्रसार किया। उनकी शिक्षा और उपदेश सरल और सर्वग्राह्य थे, जो लोगों को उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करते थे। उन्हें चमत्कारिक संत माना जाता था और लोग अपने दुख-दर्द से मुक्ति पाने के लिए उनके पास आते थे।