मां फलेषु कदाचन
बड़े भाग मानुष तन पाया।
सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन गावा।।
पूर्व जन्म के संचित पूण्य प्रताप से मानव जीवन प्राप्त होता है तथा संस्कारों के फल स्वरूप व्यक्ति अपनी विशिष्ठ प्रतिभा का विकास करता है। प्रभाव तथा स्वभाव के समन्वय से अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाता है।
मेरा छोटा भाई रमेश "आशुतोष" बाल्यकाल से ही प्रतिभाशाली रहा है। इसमें तीव्र बुद्धि , चातुर्य , कुशलता बचपन से दिखती थी।
हम छह भाई और तीन बहिनो में सबसे छोटे रमेश का जन्म 1जनवरी 1953 ई महानगरी उज्जैन में हुआ । हायर सेकेंडरी तक कि पढ़ाई 1971 में पूर्ण कर सिलाई का कार्य शुरू किया। प्रगति प्रदत्त कहें या पूर्व संचित किसी भी हुनर कला आइडिये तुरन्त पकड़ कौशल के कारण 1972 में बिना प्रक्षिक्षण एम्ब्रॉयडरी कार्य शुरू कर कई लड़कों को कसीदा कला में पारंगत किया।
इसने शतरंज खेल में दिखाई दी जटिलता परेशानी से खेल प्रेमियों को सुविधाजनक मोर्चा खेल का आविष्कार किया । जो 7 अक्टूबर1985 के दैनिक भाष्कर इंदौर के अंक में "आओ एक नया खेल खेलें " शीर्षक से प्रकाशित हुआ।
वर्ष 1993 में इसने दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी इकठ्ठी कर समाज की पहली पुस्तक "समाज दर्शन स्मारिका" का स्वयं सम्पादक बन प्रकाशन करवाया। स्मारिका के विमोचन समारोह में समाज द्वारा इसका सम्मान किया गया।
1993 में ही 7 जुलाई को हमारे पिताजी श्री पुरालाल जी राठौर का देहावसान हुआ वर्षाकाल में सुखी लकडियॉ के अभाव में दाह संस्कार में आई असुविधा ने सर्व सुविधायुक्त मुक्तिधाम बनाने की प्रेरणा को जन्म दिया। पूर्ण निष्ठा व अपनत्व भाव से ईश्वरीय प्रेरणा , ह्दय में पक्का आत्मबल लिए अपने नेतृत्व में मुक्तिधाम विकास समिति का गठन 27 अक्टूबर 1993 को कर मुक्तिधाम निर्माण का भूमि पुजन किया जाकर जन सहयोग से कार्य प्रारंभ किया। हांलाकि यह कार्य सभी को असम्भव व हास्यस्पद लग रहा था। किंतु आत्मबल के कारण अविचलित हुए बिना डटकर निर्माण कार्य मे लगा रहा। जिसका प्रतिफल सभी के समक्ष शामगढ का सर्व सुविधायुक्त मुक्तिधाम प्रस्तुत है।
मुक्तिधाम की अच्छी सेवाओं के कारण मस्ताना क्लब द्वारा आयोजित विशाल कवि सम्मेलन के मंच से तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्षा श्रीमती संध्यादेवी जायसवाल के कर कमलों से रमेश का नागरिक सम्मान किया गया।
दामोदर वंशीय नये गुजराती दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी देने वाली दूसरी पुस्तक
" समाज ज्ञान गंगा" का संपादन 2001 में पूर्ण कर समाज को दूसरी सौगात दी । समाज ज्ञान गंगा के विमोचन समारोह में संजीत दर्जी समाज द्वारा विशाल सामूहिक विवाह सम्मेलन के मंच से रमेश को सम्मानित किया गया।
बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी रमेश राठौर "आशुतोष" को इसकी सामाजिक भावना , कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को देखकर अखिलविश्व गायत्री परिवार शाखा शामगढ के परिजनों ने गायत्री शक्तिपीठ शामगढ के निर्माण हेतु चयन कर ट्रस्ट समिति का सदस्य नियुक्त किया। ट्रस्ट समिति ने कोष का प्रभार देकर शक्तिपीठ के निर्माण का कार्य सौंपा। सक्रिय भूमिका निभाते हुए एक वर्ष में ही प्रथम चरण का कार्य पूरा करवाकर आश्चर्यजनक उपलब्धि हांसिल की।
समाजजनों द्वारा निरन्तर नई पुस्तक प्रकाशन भाव को देखते हुए 2014 में समाज की बृहत जानकारी देने वाली जिस पुस्तक की कल्पना यह अक्सर किया करता था "समाज सेतु 2014" का प्रकाशन स्वयं अपने बलबूते से करवाया। लगभग 400 पेज की इस पुस्तक को समाज का सन्दर्भ ग्रंथ कहा जाना अतिशयोक्ति नही होगा ।
"समाज सेतु 2014" से आप नए गुजराती दर्जी भाइयो , गुजरात के वे सभी दर्जी बन्धुओं जिनका सम्बन्ध मध्यप्रदेश राजस्थान में हुआ है का पारिवारिक परिचय उक्त पुस्तक से सहज लगा सकते हैं।
आज 67 वर्ष की उम्र में भी गायत्री शक्तिपीठ शामगढ के व्यवस्थापक का प्रभार सम्भालते हुए नित्य 5 से 6 घण्टे समयदान देकर अपनी सूझ बूझ से शक्तिपीठ को आकर्षक रमणीय बनाने हेतु प्रयत्नशील रहता है।
द्वारा-
डॉ दयाराम आलोक
अध्यक्ष ,
अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ शामगढ
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