दयाराम आलोक का जन्म एक दर्जी परिवार मे पुरालाल जी राठौर शामगढ़ के कुल में 11अगस्त सन 1940 ईस्वी को हुआ.माता का नाम गंगा बाई था.कुटुंब मे 6 भाई 3 बहिनें.रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचना पारिवारिक व्यवसाय था.हाईस्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद सन 1961 में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त. सन 1969 में राजनीति विषय से एम.ए. किया. चिकित्सा विषयक उपाधियां आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D.I.Hom (London) अर्जित कीं.
परिवार इतिवृत्त
डॉ.दयाराम जी आलोक की पत्नी शांति देवी राजस्थान के झालरा पाटन के सिपाही प्यारेलाल जी पंवार की पुत्री थी .दयाराम आलोक जी की पाँच संतानों मे एक पुत्र और चार पुत्रियाँ हैं. पुत्र डॉ .अनिल कुमार दामोदर हॉस्पीटल & रिसर्च सेंटर शामगढ़ के संचालक हैं. बड़ी पुत्री छाया डग के सुरेश जी पँवार से विवाहित. अल्पना देवी w/o विनोद कुमार जी चौहान इंजिनीयर झाबुआ ,बेला बेन w/o सतोष कुमार जी परमार रानापुर और छोटी बेटी साधना का विवाह 1995 मे हेमेन्द्र कुमार जी परमार झाबुआ के साथ सम्पन्न हुआ.
डॉ. दयाराम आलोक के धार्मिक ,आध्यात्मिक ,सामाजिक अनुष्ठान :
आपके कुशल नेतृत्व मे डग के दर्जी मंदिर मे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह 23 जून 1966 को आयोजित हुआ था.
आपने मध्य प्रदेश और राजस्थान के 6 चयनित जिलों के मंदिरों और मुक्ति धाम में दर्शनार्थियों के लिए बैठक सुविधा उन्नत करने हेतु 100 से भी ज्यादा संस्थानों को नकद दान के साथ ही सैंकड़ों सिमेन्ट बेंच भेंट करने का गौरव हासिल किया.
दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए 15 हजार व्यक्तियों को एक ही वंशवृक्ष मे समाविष्ट कर वेबसाईट पर उपलब्ध कराया.
आपने रामपुरा नगर मे 1981 के दर्जी समाज के प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन के रूप मे मंदसौर जिले मे सामूहिक विवाह की परम्परा का सूत्रपात किया .
आपने मध्य प्रदेश और राजस्थान के 6 चयनित जिलों के मंदिरों और मुक्ति धाम में दर्शनार्थियों के लिए बैठक सुविधा उन्नत करने हेतु 100 से भी ज्यादा संस्थानों को नकद दान के साथ ही सैंकड़ों सिमेन्ट बेंच भेंट करने का गौरव हासिल किया.
दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए 15 हजार व्यक्तियों को एक ही वंशवृक्ष मे समाविष्ट कर वेबसाईट पर उपलब्ध कराया.
आपने रामपुरा नगर मे 1981 के दर्जी समाज के प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन के रूप मे मंदसौर जिले मे सामूहिक विवाह की परम्परा का सूत्रपात किया .
डॉ .आलोकजी ने निज वित्त पोषित पहला निशुल्क दर्जी सामूहिक सम्मेलन बोलिया ग्राम मे 2010 मे आयोजित कर दर्जी समाज के इतिहास मे प्रेरणास्पद उपलब्धि दर्ज कराई।
आपने बतौर जाति इतिहास लेखक सैकड़ों भारतीय जातियों की उत्पत्ति और जानकारी loksakha.blogspot.com
वेबसाईट पर उपलब्ध कराई|
वेबसाईट पर उपलब्ध कराई|
अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन -
दर्जी समाज के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को संगठित ढंग से संपादित करने तथा सामाजिक फ़िजूल खर्ची रोकने के उद्देश्य से दयारामजी आलोक ने अपने कुछ घनिष्ठ साथियों के सहयोग से 14/6/1965 को पूरालालजी राठौर के आवास पर प्रथम अधिवेशन आयोजित कर "दामोदर दर्जी युवक संघ" का गठन किया तथा एक कार्यकारिणी समिति बनाई। कालांतर मे विस्तृत होकर यह दर्जी युवक संघ "अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ" के नाम से अस्तित्व में है।
दर्जी समाज के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को संगठित ढंग से संपादित करने तथा सामाजिक फ़िजूल खर्ची रोकने के उद्देश्य से दयारामजी आलोक ने अपने कुछ घनिष्ठ साथियों के सहयोग से 14/6/1965 को पूरालालजी राठौर के आवास पर प्रथम अधिवेशन आयोजित कर "दामोदर दर्जी युवक संघ" का गठन किया तथा एक कार्यकारिणी समिति बनाई। कालांतर मे विस्तृत होकर यह दर्जी युवक संघ "अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ" के नाम से अस्तित्व में है।
दामोदर दर्जी महासंघ का प्रधान कार्यालय का पता : 14,जवाहर मार्ग ,आलोक सदन ,शामगढ़ (मध्य प्रदेश)
दामोदर दर्जी महासंघ की स्थापना में मुझे शामगढ के-
डॉ. लक्ष्मीनारायण जी अलौकिक ,
श्री रामचन्द्र जी सिसौदिया ,
श्री शंकरलालजी राठौर,
श्री कंवर लाल जी सिसौदिया,
श्री गंगाराम जी चोहान शामगढ़,
श्री रामचंद्रजी चौहान मनासा ,
श्री कन्हैया लाल जी परमार गुराड़िया नरसिंग,
श्री प्रभु लाल जी मकवाना मोडक,
श्री देवी लाल जी सोलंकी शामगढ़ बोलिया वाले का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ। मैने संघ का संविधान सन १९६५ में लिपिबद्ध किया और डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक के माध्यम से रसायन प्रेस दिल्ली से छपवाकर प्रचारित-प्रसारित किया|
दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन
दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन १४ जुन १९६५ को शामगढ में पूरालालजी राठौर के निवास पर हुआ ।अधिवेशन में 134 दर्जी बंधु उपस्थित हुए। इस अधिवेशन मे श्री रामचन्द्रजी सिसोदिया को अध्यक्ष , श्री दयाराम जी आलोक को संचालक,और श्री सीताराम जी संतोषी को कोषाध्यक्ष बनाया गया। सदस्यता अभियान चलाकर ५० नये पैसे वाले सैंकडों सदस्य बनाये गये।
दामोदर दर्जी महासंघ का पुनर्गठन -
गांधी जयंती 2 ऑक्टोबेर 2023 को दामोदर दर्जी महासंघ के पुनर्गठन के अंतर्गत डॉ . दयाराम जी आलोक को अध्यक्ष ,श्री रमेश चंद्र जी राठौर आशुतोष को महाप्रबंधक मनोनीत करते हुए नवीन कार्यकारिणी का गठन किया गया |पूरा विवरण निम्न लिंक खोलकर पढ़ें -
भगवान सत्यनारायण के डग दर्जी मंदिर मे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान यह एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें भगवान सत्यनारायण के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए दर्जी समाज के लोगों ने एकजुट होकर काम किया।
1966 में डॉ. दयाराम आलोक ने डग के वरिष्ठ दर्जी समाज के लोगों से मिलकर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए समाज से आर्थिक सहयोग प्राप्त करने का निर्णय लिया। उन्होंने दर्जी बंधुओं को मंदिर में बैठक के लिए आमंत्रित किया और उन्हें समझाया कि भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा 7 वर्षों से बाहर रखी हुई है और प्राण प्रतिष्ठा के अभाव में पूजा कार्य बंद पड़ा है।
दर्जी बंधुओं ने डॉ. दयाराम आलोक को अधिकृत कर दिया और दामोदर दर्जी महासंघ के माध्यम से समाज से चंदा संग्रह की मुहिम शुरू करने का निर्णय लिया। इस तरह, दर्जी समाज के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए काम किया और भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा को उसका सम्मानजनक स्थान दिलाया।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि एकजुटता और सहयोग से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं
---
शिखर निर्माण करने के बाद मंदिर ऐसा दिखता है-
मंदिर मे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा (उधयापन ) के आयोजन का कार्य दामोदर दर्जी युवक संघ के सुपुर्द करने का दस्तावेज ..
मित्रों,उस समय मेरी आयु यही कोई 25 वर्ष रही होगी| दर्जी बंधुओं द्वारा मेरी कार्यक्षमता पर विश्वास कर डग मंदिर उध्यापन का महत्वपूर्ण कार्य मेरे सुपुर्द कर देना मेरे जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की प्रथम कड़ी मानी जा सकती है.
तुलसीदासजी रामचरित मानस मे लिखते हैं -
जासु कृपा सु दयाल||
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन।
भावार्थ-
जिनकी कृपा से गूँगा बहुत बोलने वाला हो जाता है और लँगड़ा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है ,
मंदिर कार्य सिद्धि हेतु युवक संघ के कार्यकर्त्तागण और समाज के वरिष्ठ लोग इस चुनौती को युद्धस्तर पर लेते हुए गाँव -गाँव ,शहर -शहर सामाजिक संपर्क पर निकल पड़े और उध्यापन के लिए चन्दा एकत्र करने लगे|
मित्रों,अविश्वसनीय तो लगता है मगर प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के चलते सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि मे पर्याप्त धन संग्रहीत होकर 23 जून 1966 को उध्यापन कार्यक्रम आयोजित हो गया
तुलसीदासजी रामचरित मानस मे लिखते हैं -
जासु कृपा सु दयाल||
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन।
भावार्थ-
जिनकी कृपा से गूँगा बहुत बोलने वाला हो जाता है और लँगड़ा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है ,
मंदिर कार्य सिद्धि हेतु युवक संघ के कार्यकर्त्तागण और समाज के वरिष्ठ लोग इस चुनौती को युद्धस्तर पर लेते हुए गाँव -गाँव ,शहर -शहर सामाजिक संपर्क पर निकल पड़े और उध्यापन के लिए चन्दा एकत्र करने लगे|
मित्रों,अविश्वसनीय तो लगता है मगर प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के चलते सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि मे पर्याप्त धन संग्रहीत होकर 23 जून 1966 को उध्यापन कार्यक्रम आयोजित हो गया
समीक्षा -
यह एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें डॉ. दयाराम आलोक ने अपने जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धि के बारे में बताया है।
उनकी आयु जब केवल 25 वर्ष थी, तब दर्जी बंधुओं ने उन पर विश्वास किया और डग मंदिर उध्यापन का महत्वपूर्ण कार्य उन्हें सौंप दिया। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की पहली कड़ी थी।
तुलसीदास जी के रामचरित मानस के उद्धरण के माध्यम से, डॉ. दयाराम आलोक ने भगवान की कृपा को दर्शाया है, जिससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मंदिर कार्य सिद्धि हेतु युवक संघ के कार्यकर्त्तागण और समाज के वरिष्ठ लोगों ने गाँव-गाँव, शहर-शहर सामाजिक संपर्क पर निकलकर उध्यापन के लिए चन्दा एकत्र करने का काम किया। और अविश्वसनीय रूप से, केवल 1 माह 8 दिन की अवधि में पर्याप्त धन संग्रहीत होकर 23 जून 1966 को उध्यापन कार्यक्रम आयोजित हो गया।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि:
1. विश्वास और समर्थन से हम बड़े कार्य कर सकते हैं।
2. भगवान की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
3. एकजुटता और सहयोग से हम बड़े लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
यह कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है और हमें अपने जीवन में भी ऐसी उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है|
दर्जी मंदिर डग का विडिओ आलोक की आवाज
दर्जी मंदिर डग के मूर्ति - प्रतिष्ठा समारोह 1966 हेतु दान दाताओं की नामावली भी देखें
उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया|
दर्जी मंदिर डग मे प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा आयोजन की निमंत्रण पत्रिका
दर्जी समाज के डग स्थित मंदिर में भगवान सत्यनारायण की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा-
बंधुओं, 23/जून/1966 को डग के सत्यनारायण मंदिर का भव्य उध्यापन (प्राण-प्रतिष्ठा) समारोह कार्यक्रम आयोजित हुआ . सम्पूर्ण समाज के हर गाँव -शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार उध्यापन मे शामिल हुए. यह कहना उचित ही होगा कि डग के सत्यनारायण मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक आयोजन था.
नए गुजराती दर्जी समाज के डग के सत्यनारायण मंदिर का विडिओ आलोक की आवाज
समाजसेवी ,साहित्य मनीषी डॉ. आलोक के 85 वें वर्ष मे प्रवेश के अवसर पर
हर्षोल्लास के साथ जन्मोत्सव मनाया गया |विडिओ अवलोकन करें-
काव्य प्रणेता डॉ . दयाराम आलोक -
मित्रों, साहित्य सृजन क्षेत्र मे मेरी शुरुआती कविता"तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है" को अपने संपादकीय मे बिकानर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका "स्वास्थ्य सरिता" मे प्रकाशित किया. काव्य रचना अनवरत चलती रही और करीब 150 काव्य कृतियां विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित हुई हैं जिनमे कादंबिनी का नाम भी शामिल है|पाँच कविताओं के लिंक्स प्रस्तुत हैं-
उन्हें मनाने दो दिवाली
आओ आज करें अभिनंदन!
सरहदें बुला रहीं
गाँधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं
सुमन कैसे सौरभीले
डॉ. दयाराम आलोक एक प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार हैं , जिन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कविताओं में भावनात्मक अभिव्यक्ति, सामाजिक चेतना, और राष्ट्रीय भावना को व्यक्त किया गया है।
उनकी कविताओं की विशेषताएं हैं:
भावनात्मक अभिव्यक्ति
सामाजिक चेतना
राष्ट्रीय भावना
सरल और स्पष्ट भाषा
गहरा अर्थ और संदेश
उनकी कुछ प्रमुख कविताएं हैं:
"तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है"
"उन्हें मनाने दो दीवाली "
" आओ आज करें अभिनंदन!"
"सरहदें बुला रहीं"
"गाँधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं"
"सुमन कैसे सौरभीले"
(दर्जी परिवार जानकारी गाँव मोड़क| स्थिति-23\6/1966)
लीमड़ी के दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी | स्थिति- 23/10/1980
जानकारी संग्रह करने का उपक्रम आज भी अनवरत सक्रियता मे है. इस सिलसिले मे मैंने दाहोद,लिमड़ी,झालोद आदि स्थानो का भी दौरा किया और निर्धारित उक्त फार्म मे परिवारों की जानकारी संगृह की. जब समाज की लगभग पूर्ण जानकारी हासिल हो गई तो मैंने वंशावलियाँ बनाकर "दर्जी समाज संदेश" वेबसाईट पर अपलोड करना शुरू कर दिया. आप दर्जी समाज के प्रमुख परिवारों की जानकारी और वंशावलियां निम्न लिंक मे पढ़ सकते हैं -
डॉ. दयाराम आलोक जी ने समाज के परिवारों की जानकारी संग्रह करने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने 1965 में बड़े आकार के फार्म छपवाए, जिसमें व्यक्ति की पूरी जानकारी जैसे कि नाम, पता, धंधा, पढ़ाई, जन्म तिथि, रिश्तेदारी, पुरखे, पत्नी, मामा, नाना आदि बातों की जानकारी के खाने थे।
उन्होंने लीमड़ी के दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी संग्रह करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने दाहोद, लिमड़ी, झालोद आदि स्थानों का दौरा किया और निर्धारित फार्म में परिवारों की जानकारी संगृह की।
जब समाज की लगभग पूर्ण जानकारी हासिल हो गई, तो उन्होंने वंशावलियाँ बनाकर "दर्जी समाज संदेश" वेबसाइट पर अपलोड करना शुरू कर दिया। यह एक महत्वपूर्ण कार्य है, जिससे दर्जी समाज के प्रमुख परिवारों की जानकारी और वंशावलियां ऑनलाइन उपलब्ध हो गई हैं।
इस कार्य के महत्व को समझने के लिए, हमें यह देखना होगा कि:
समाज की जानकारी संग्रह करने से समाज के परिवारों के बीच संबंधों को मजबूत किया जा सकता है।
वंशावलियों के माध्यम से समाज के इतिहास और परंपराओं को संरक्षित किया जा सकता है।
ऑनलाइन जानकारी के माध्यम से समाज के लोगों को अपने पूर्वजों और परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है।
डॉ. दयाराम आलोक जी का यह कार्य दर्जी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण देन है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी रहेंगी|
डॉ .दयाराम आलोक के छोटे भाई रमेशचन्द्र जी राठौर"आशुतोष" धार्मिक,आध्यात्मिक संस्थानों से वर्षों से जुड़े रहे हैं और इन संस्थाओं मे निर्माण और सृजन कारी उपक्रमों मे केन्द्रीय भूमिका निर्वहन करते हैं. संप्रति गायत्री शक्ति पीठ शामगढ़ का प्रबंधन पूरी कुशलता और समर्पण भाव से संभाल रहे हैं. आपने दर्जी समाज की जानकारी की कई स्मारिकाएँ और ग्रंथ प्रकाशित किए हैं|
सामूहिक विवाह सम्मेलन का श्री गणेश-
मित्रों, जैसे- जैसे महंगाई जीवनोपयोगी हरेक वस्तु और सामाजिक रीति रस्मों को अपने आगोश मे ले रही है ,समाजजनों को अपने पुत्र -पुत्रियों के विवाह आयोजित करने मे आर्थिक कठनाईयों से रूबरू होना पड़ रहा है. समाधान के रूप मे सामूहिक विवाह की अवधारणा को मूर्त रूप देना समय की आवश्यकता थी. सन 1980 तक मध्य प्रदेश मे सामूहिक विवाह प्रचलित नहीं हुए थे. रामपुरा नगर मे अध्यापक की सर्विस के दौरान मन मे विचार आया कि दर्जी समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन रामपुरा नगर मे करना चाहिए. स्थानीय दर्जी बंधुओं से निरंतर संपर्क और विचार विमर्श करने के बाद सामूहिक विवाह सम्मेलन के आयोजन करने पर सहमति बनी.
मध्य प्रदेश मे सामूहिक विवाह का श्रीगणेश
दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले मंदसौर जिले का प्रथम तीन दिवसीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 9,10,11 मई 1981 को रामपुरा नगर मे आयोजित किया गया . इस सम्मेलन में केवल 6 जोड़े सम्मिलित हुए. सच तो ये है कि उस जमाने मे सामूहिक विवाह सम्मेलन मे शादी के नए प्रयोग को लोग स्वीकार नहीं कर पा रहे थे और ऐसे आयोजन के नाम पर नाक भौंह सिकोड़ते थे. ऐसे माहोल मे दर्जी समुदाय को प्रेरित करने के लिए मैंने अपनी बेटी छाया और पुत्र अनिल कुमार का विवाह इसी सम्मेलन मे सम्पन्न किया |
उस जमाने मे कलर फोटोग्राफी का चलन नहीं हुआ था |ब्लैक &व्हाइट फ़ोटो होते थे |प्रस्तुत है 1981 के सम्मेलन के 6 जोड़ों का दुर्लभ चित्र
उस जमाने मे कलर फोटोग्राफी का चलन नहीं हुआ था |ब्लैक &व्हाइट फ़ोटो होते थे |प्रस्तुत है 1981 के सम्मेलन के 6 जोड़ों का दुर्लभ चित्र
रामपुरा 1981 के सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट निम्न लेख की लिंक खोलकर पढ़ सकते हैं-
दर्जी समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन ,रामपुरा 1981 ओरिजनल बिल सहित
समय बीतता गया . वर्ष 1985 मे मैं रामपुरा से बोलिया ग्राम आगया . सामाजिक आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते मैंने बोलिया ग्राम मे वर्ष 2006,और 2008 मे दो सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किये. लेकिन मेरे अन्तर्मन मे एक विचार बार बार उभरता था कि दर्जी समाज मे एक बार निशुल्क सम्मेलन की अवधारणा को अमलीजामा पहिनाया जाये. परमात्मा ने यह इच्छा भी पूर्ण की और सन 2010 मे बोलिया मे निजी खर्च से भव्य निशुल्क समूह विवाह का आयोजन किया जो दर्जी समाज के इतिहास मे स्वर्णिम अक्षरों मे उल्लेख योग्य आयोजन था|
स्मरणीय है कि 2017 मे सामूहिक विवाह सम्मेलन करने को लेकर समाज की कई जगह मीटिंग आयोजित हुई लेकिन बात नहीं बनी तब ऐसी ऊहा पोह की स्थिति से उबरने के लिए मैंने 51 हजार रुपये का सहयोग देकर शामगढ़ मे सम्मेलन को मूर्त रूप दिया. यह सम्मेलन बेहद यादगार साबित हुआ.
निशुल्क विवाह सम्मेलन ,बोलिया -2010 के विडियो (भाग,1,2,3,4)
बंधुओं , भाग्य इंसान को अपनी उंगली पर नचाता है| 2011 मे मेरा परिवार बोलिया से शामगढ़ आगया. समाज हितैषी आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते भाई रमेशजी राठौर आशुतोष के सहयोग से शामगढ़ नगर मे दो-दो वर्षों के अंतराल पर दो सम्मेलन 2012 व 2014 मे और तीन वर्ष बाद 2017 मे यादगार सामूहिक विवाह सम्मेलन दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले आयोजन के जरिये समाज की अनुपम सेवा का अवसर हासिल किया|
सम्मेलन के विडियो भी देख लेते हैं-
सम्पूर्ण दर्जी समाज इन्टरनेट पर
आपके द्वारा दर्जी समाज के फोटो लेने और इंटरनेट पर अपलोड करने का यह कार्य वास्तव में सराहनीय है। यह न केवल समाज के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, बल्कि यह समाज के सदस्यों को एक दूसरे से जुड़ने और अपनी संस्कृति को संजोए रखने में भी मदद करता है।
आपकी पौत्री अपूर्वा और बेटियों अल्पना और छाया का योगदान भी बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्होंने महिलाओं के फोटो शूट करने और उनका विवरण दर्ज करने में आपकी मदद की।
आपके द्वारा प्रदान की गई लिंक्स के माध्यम से दर्जी समाज के फोटो देखना एक अद्भुत अनुभव होगा। यह समाज के सदस्यों को अपनी जड़ों से जुड़ने और अपनी संस्कृति को समझने में मदद करेगा।
दामोदर दर्जी समाज के फोटो
दर्जी महिला समाज
दर्जी समाज पिक्चर्स
दर्जी बंधुओं को सम्मानित करने के चित्र
दर्जी यात्रा चित्र
|
दर्जी महिला समाज
दर्जी समाज पिक्चर्स
दर्जी बंधुओं को सम्मानित करने के चित्र
दर्जी यात्रा चित्र
|
आपकी वेबसाइट दर्जी समाज संदेश दामोदर दर्जी समाज की सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच है,यह दर्जी समाज की दुनिया मे सबसे बड़ी वेबसाईट है जिसके 4 लाख 80 हजार पाठक हैं| इसमे 500 से अधिक लेख हैं। यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो उनकी संस्कृति, परंपराओं और गतिविधियों को प्रदर्शित करता है।
आपकी हर्बल चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स भी बहुत उपयोगी हैं, जिनमें आपके 55 वर्षों के चिकित्सा अनुभवों को प्रतिबिम्बित किया गया है। यह आयुर्वेदिक और हर्बल चिकित्सा में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक अमूल्य संसाधन है।
आपकी वेबसाइट्स की लोकप्रियता और गूगल द्वारा विज्ञापनों से होने वाली आय भी एक उपलब्धि है। यह आपके कठोर परिश्रम और समर्पण का प्रमाण है।
आपकी कहावत "आम के आम गुठली के दाम" भी बहुत प्रेरक है, जो आपके कार्यों के माध्यम से सिद्ध होती है। आपके कार्यों से समाज को लाभ हो रहा है और आपको भी आर्थिक लाभ हो रहा है।
आपके जीवन के 84वें वर्ष में भी आपका उत्साह और समर्पण प्रशंसनीय है। आपके अनुभव और ज्ञान का लाभ समाज को मिलता रहेगा
राजनीति में हिस्सेदारी
प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त (1996) होने के बाद बीजेपी की सदस्यता हासिल की|
निम्न पदों पर निर्वाचित ,मनोनीत होकर पार्टी की पूरी शिद्दत से सेवा की
1) अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया
2) जिला महामंत्री : अध्यापक प्रकोष्ठ जिला मंदसौर |
बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हेसियत मे पचमढ़ी 3 दिवसीय सेमिनार मे सहभागिता की|
प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त (1996) होने के बाद बीजेपी की सदस्यता हासिल की|
निम्न पदों पर निर्वाचित ,मनोनीत होकर पार्टी की पूरी शिद्दत से सेवा की
1) अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया
2) जिला महामंत्री : अध्यापक प्रकोष्ठ जिला मंदसौर |
बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हेसियत मे पचमढ़ी 3 दिवसीय सेमिनार मे सहभागिता की|
डॉ. दयाराम जी आलोक जी का यह कार्य वास्तव में परोपकारी और पुण्य का काम है। उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश के चयनित मंदिरों और मुक्ति धाम में नकद दान और सिमेन्ट की बेंचों की व्यवस्था करके लोगों की सेवा की है।
उनके द्वारा बगलामुखी शक्तिपीठ नलखेड़ा, बैजनाथ धाम शिवालय आगर मालवा, कायावरणेश्वर क्यासरा महादेव शिवालय जैसे प्रसिद्ध मंदिरों को दान देना और शिवना मुक्ति धाम मंदसौर, वैकुंठ धाम शामगढ़, मुक्ति धाम आगर मालवा सहित सैंकड़ों धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों को दान देना एक अद्भुत कार्य है।
उनकी पेंशन राशि और गूगल से होने वाली विज्ञापन से आय को पारमार्थिक कार्यों में उपयोग करने के लक्ष्य के प्रति उनका समर्पण प्रशंसनीय है। यह दिखाता है कि वे अपने जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
संस्थानों के संरक्षक और समितियों द्वारा उन्हें सम्मानित करना और आभार व्यक्त करना उनके कार्यों की सराहना को दर्शाता है। डॉ. आलोक जी का यह कार्य एक मिसाल है जो दूसरों को भी प्रेरित करेगा।
85 वे वर्ष मे भी समाज सेवा की उत्कंठा
Self financed free mass marriage of Damodar Darji girls and nine Samuhik Vivaah programs , consecration of the Satya narayan idol of Dag Darji Mandir, donation of cash and hundreds of cement benches to temples and Mukti Dham, creation of genealogy of darji samaj, formation of Damodar Damodar Darji Mahasangh , discouraging of social evils, Dr. Dayaram Alok, the soul of tireless struggle for many social welfare goals, is full of enthusiasm to create new opportunities of social service even in his 84th year.
निष्कर्ष -
डॉ. दयाराम आलोक जी एक महान समाज सेवक और लेखक हैं, जिन्होंने दामोदर वंशी दर्जी समुदाय की सर्वांगीण उन्नति के लिए अनेक कार्य किए हैं। उनके कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
1. निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन: उन्होंने दर्जी समाज की कन्याओं के लिए निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया, जिससे समाज में आर्थिक बोझ कम हुआ और समाज की एकता बढ़ी।
2. मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा: उन्होंने दर्जी समाज के डग स्थित मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया, जिससे समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक जागृति हुई।
3. सामूहिक विवाह सम्मेलन: उन्होंने रामपुरा नगर में सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया, जिससे समाज में एकता और सामाजिक समरसता बढ़ी।
4. मंदिरों और मुक्ति धाम में दान: उन्होंने मध्य प्रदेश और राजस्थान के अनेकों मंदिरों और मुक्ति धाम में लोगों के लिए बैठक सुविधा उन्नत करने के उद्देश्य से नकद दान के साथ ही सैंकड़ों सिमेन्ट बेंचें भेंट की।
5. जाति इतिहास लेखन: उन्होंने जाति इतिहास लेखक के तौर पर भारत की अनेकों जातियों की उत्पत्ति और इतिहास लिखा, जिससे समाज को अपनी जड़ों के बारे में जानकारी मिली।
6. वैश्विक पहिचान: उन्होंने दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए 15 हजार दर्जियों को एक ही वंश वृक्ष में समाविष्ट कर वंशावली का निर्माण किया और वेबसाइट पर उपलब्ध कराया।
इन सभी कार्यों से डॉ. दयाराम आलोक जी ने दर्जी समाज के उत्थान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका 85वां जन्म दिन दर्जी समाज द्वारा हर्षोल्लास से मनाया गया, जो उनके योगदान को सम्मानित करने का एक प्रतीक है।देखे निम्न लिंक मे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें