22.10.20

राम नारायण जी चौहान दरजी सोहन गढ़ की वंशावली -babulal sohangarh,gopal mandsaur,ghansham mandsaur,shantilal mandsaur ,kapil sohangarh,pankaj mandsaur

 


1.सीता बाई जादव - राम नारायण जी चौहान सोहनगढ़ b. 21 अक्टूबर, 1940
└ +राम नारायण जी चौहान दर्जी सोहन गढ़ b. 8 अप्रैल, 1938
2. बाबूलाल चौहान दरजी मंदसौर / सोहन गढ़ से b. 1959
└ +सुमित्रा सोलंकी - बाबूलाल चौहान दर्जी सोहन गढ़ b. 5 सितम्बर, 1964
└ +राधाबाई -बाबूलाल चौहान दर्जी सोहनगढ़ b. 1965
3. रेखा माता राधाबाई -बाबूलाल चौहान सोहंगढ़ b. 1984
└ +महेश कुमार -राधेशाम पँवार इंदौर b. 1982
3. चेतन चौहान सोहन गढ़ b. 1992
└ +सुमित्रा सोलंकी -बाबूलाल चौहान सोहन गढ़ b. 1965
3. मधुबाला चौहान -मांगीलाल मेघराज परमार बोलिया b. 1984
└ +मांगीलाल परमार दर्जी पगारिया/ बोलिया से b. 3 जुलाई, 1981
3. कपिल चौहान सोहनगढ़ b. 1987
3. अरविंद चौहान सोहन गढ़ b. 1989
3. तरुण चौहान सोहन गढ़ b. 1991
2. राम गोपाल चौहान दर्जी मंदसौर--८९८२२१२८३६ b. 1973
└ +शामू बाई -गोपाल चौहान मंदसौर /सोहन गढ़ से b. 9 अप्रैल, 1969
3. टीना-सुनील पँवार दर्जी झालरा पाटन b. 5 दिसंबर, 1981
└ +सुनील पंवार दर्जी झालरा पाटन --9887112110 b. 9 नवंबर, 1987, झालरा पाटन, झालावाड़ , राजस्थान, India
4. कृष्णा पिता सुनील पंवार दर्जी झालरा पाटन b. 2 जून, 2010
3. पंकज चौहान दर्जी मंदसौर b. 1991
2. घनशाम चौहान दरजी मंदसौर b. 1974
└ +किरण -घनशाम चौहान दरजी मंदसौर b. 12 जून, 1976
3. राहुल चौहान दरजी मंदसौर b. 1997
3. खुशबू पिता घन शाम चौहान दरजी मंदसौर b. 2000
2. शांति लाल चौहान दरजी मंदसौर b. 1972
└ +रुकमन पँवार -शांतिलाल चौहान मंदसौर b. 23 नवंबर, 1976
3. माया पिता शांति लाल चौहान दरजी मंदसौर b. 1994
3. चंचल पिता शांति लाल चौहान दरजी मंदसौर b. 1997
2. गुड्डी बाई चौहान -सुरेश गोयल भवानी मंडी b. 1976
└ + सुरेश चंद्र मांगीलाल गोयल दर्जी भवानी मंडी
2. कमलेश बाई -गोपाल चौहान दरजी पिपल्या चिलोत b. 1978


vanshavali lekhak Dr.Dayaram Aalok 

5.10.20

श्री रमेश चंद्र जी राठौर "आशुतोष "के सामाजिक और लोक हितैषी कार्य

 



कर्मण्येवाधिकारस्ते
मां फलेषु कदाचन
बड़े भाग मानुष तन पाया।
सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन गावा।।
पूर्व जन्म के संचित पूण्य प्रताप से मानव जीवन प्राप्त होता है तथा संस्कारों के फल स्वरूप व्यक्ति अपनी विशिष्ठ प्रतिभा का विकास करता है। प्रभाव तथा स्वभाव के समन्वय से अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाता है।
मेरा छोटा भाई रमेश "आशुतोष" बाल्यकाल से ही प्रतिभाशाली रहा है। इसमें तीव्र बुद्धि , चातुर्य , कुशलता बचपन से दिखती थी।
हम छह भाई और तीन बहिनो में सबसे छोटे रमेश का जन्म 1जनवरी 1953 ई महानगरी उज्जैन में हुआ । हायर सेकेंडरी तक कि पढ़ाई 1971 में पूर्ण कर सिलाई का कार्य शुरू किया। प्रगति प्रदत्त कहें या पूर्व संचित किसी भी हुनर कला आइडिये तुरन्त पकड़ कौशल के कारण 1972 में बिना प्रक्षिक्षण एम्ब्रॉयडरी कार्य शुरू कर कई लड़कों को कसीदा कला में पारंगत किया।
इसने शतरंज खेल में दिखाई दी जटिलता परेशानी से खेल प्रेमियों को सुविधाजनक मोर्चा खेल का आविष्कार किया । जो 7 अक्टूबर1985 के दैनिक भाष्कर इंदौर के अंक में "आओ एक नया खेल खेलें " शीर्षक से प्रकाशित हुआ।
वर्ष 1993 में इसने दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी इकठ्ठी कर समाज की पहली पुस्तक "समाज दर्शन स्मारिका" का स्वयं सम्पादक बन प्रकाशन करवाया। स्मारिका के विमोचन समारोह में समाज द्वारा इसका सम्मान किया गया।
1993 में ही 7 जुलाई को हमारे पिताजी श्री पुरालाल जी राठौर का देहावसान हुआ वर्षाकाल में सुखी लकडियॉ के अभाव में दाह संस्कार में आई असुविधा ने सर्व सुविधायुक्त मुक्तिधाम बनाने की प्रेरणा को जन्म दिया। पूर्ण निष्ठा व अपनत्व भाव से ईश्वरीय प्रेरणा , ह्दय में पक्का आत्मबल लिए अपने नेतृत्व में मुक्तिधाम विकास समिति का गठन 27 अक्टूबर 1993 को कर मुक्तिधाम निर्माण का भूमि पुजन किया जाकर जन सहयोग से कार्य प्रारंभ किया। हांलाकि यह कार्य सभी को असम्भव व हास्यस्पद लग रहा था। किंतु आत्मबल के कारण अविचलित हुए बिना डटकर निर्माण कार्य मे लगा रहा। जिसका प्रतिफल सभी के समक्ष शामगढ का सर्व सुविधायुक्त मुक्तिधाम प्रस्तुत है।
मुक्तिधाम की अच्छी सेवाओं के कारण मस्ताना क्लब द्वारा आयोजित विशाल कवि सम्मेलन के मंच से तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्षा श्रीमती संध्यादेवी जायसवाल के कर कमलों से रमेश का नागरिक सम्मान किया गया।
दामोदर वंशीय नये गुजराती दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी देने वाली दूसरी पुस्तक
" समाज ज्ञान गंगा" का संपादन 2001 में पूर्ण कर समाज को दूसरी सौगात दी । समाज ज्ञान गंगा के विमोचन समारोह में संजीत दर्जी समाज द्वारा विशाल सामूहिक विवाह सम्मेलन के मंच से रमेश को सम्मानित किया गया।
बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी रमेश राठौर "आशुतोष" को इसकी सामाजिक भावना , कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को देखकर अखिलविश्व गायत्री परिवार शाखा शामगढ के परिजनों ने गायत्री शक्तिपीठ शामगढ के निर्माण हेतु चयन कर ट्रस्ट समिति का सदस्य नियुक्त किया। ट्रस्ट समिति ने कोष का प्रभार देकर शक्तिपीठ के निर्माण का कार्य सौंपा। सक्रिय भूमिका निभाते हुए एक वर्ष में ही प्रथम चरण का कार्य पूरा करवाकर आश्चर्यजनक उपलब्धि हांसिल की।
समाजजनों द्वारा निरन्तर नई पुस्तक प्रकाशन भाव को देखते हुए 2014 में समाज की बृहत जानकारी देने वाली जिस पुस्तक की कल्पना यह अक्सर किया करता था "समाज सेतु 2014" का प्रकाशन स्वयं अपने बलबूते से करवाया। लगभग 400 पेज की इस पुस्तक को समाज का सन्दर्भ ग्रंथ कहा जाना अतिशयोक्ति नही होगा ।
"समाज सेतु 2014" से आप नए गुजराती दर्जी भाइयो , गुजरात के वे सभी दर्जी बन्धुओं जिनका सम्बन्ध मध्यप्रदेश राजस्थान में हुआ है का पारिवारिक परिचय उक्त पुस्तक से सहज लगा सकते हैं।
आज 67 वर्ष की उम्र में भी गायत्री शक्तिपीठ शामगढ के व्यवस्थापक का प्रभार सम्भालते हुए नित्य 5 से 6 घण्टे समयदान देकर अपनी सूझ बूझ से शक्तिपीठ को आकर्षक रमणीय बनाने हेतु प्रयत्नशील रहता है।

द्वारा-
डॉ दयाराम आलोक
अध्यक्ष ,
अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ शामगढ


4.10.20

सामाजिक कार्यों मे दर्जी समाज का सहयोग


 दर्जी मित्रों,पिछले कुछ माह से दर्जीसमाज के लोगों के पूर्वजों की जानकारी संगृह करने के कार्य मे अग्रसर हूँ|

जानकारी का उद्गम,स्रोत क्या है ?
सभी जानकारी आप लोगों से ही पूछताछ कर संगृहीत करता हूँ|इसमे कई वर्ष लग जाते हैं|कुछ जानकारी गलत भी बता देते हैं तो बाद मे पता चलने पर सुधार कर लेता हूँ |कुछ लोग पूर्वज पुरुषों के नाम तो बता पाते हैं लेकिन उनकी पत्नियों का नाम और पीहर का नाम नहीं बता पाते|यहाँ मुझे कुछ मुश्किल का सामना करना पड़ता है|जैसे तैसे काम आगे बढ़ाना पड़ता है|
आगे जो भी पुरखावलियाँ बनाने जा रहा हूँ ,उनकी सटीकता के लिए आपका सहयोग अपेक्षित है वरना मेरे पास जानकारी ओर कहाँ से आएगी?आप अपने बड़े बूढ़ों या भाट से जानकारी ले सकें तो बेहतर रहेगा| मैंने सन 1740 से अब तक की जानकारी संगृहीत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है|जन्म तारीख ,महीने और सन के मामले मे कुछ भ्रम की स्थिति दिख सकती है | आप को मालूम हो तो संशोधन करवा सकते हैं|यह मेरे अकेले के बलबूते का काम नहीं है ,आपकी सहभागिता के बिना कार्य पूर्ण कैसे हो सकेगा?समाज के प्रति जागरूक तो होना ही पड़ेगा|कम पढे लिखे लोगों की भी आप मदद करेंगे तो काम जल्द से जल्द परिपूर्णता की ओर बढ़ेगा|
पुरखावलियों मे जहां मुझे महिलाओं के नाम और पीहर की जानकारी नहीं मिल पाई वहाँ मैंने -----ऐसी कट लाईन का प्रयोग किया है|आप कुछ जानते हों तो बतावें|
"काम बहुत है जीवन थोड़ा पगला मन घबराये " मेरी मनोदशा कुछ ऐसी ही हो रही है|जो ईश्वर की मर्जी होगी वही तो होगा| आप इसे महसूस कर पाएंगे तो ही बात बनेगी|
बंधुओं ,मेरे विनम्र मार्गदर्शन मे 1966 मे डग के सत्यनारायन मंदिर का मूर्ति प्रतिष्ठा उत्सव डग के उदारमना ,विवेकशील ,प्रपंच विमुख दर्जी समाज के वरिष्ठ लोगों ने एक लिखित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर मेरे मार्गदर्शन मे सम्पन्न करने की अनुमति दी और उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक उत्सव आयोजित हुआ जिसमे पूरे समाज के लोगों ने बढ़ चढ़ कर आर्थिक सहयोग दिया | सामूहिक विवाह का शुभारभ याने प्रथम सम्मेलन रामपुरा मे 1981 मे किया गया ,बाद मे कुछ कुछ अन्तराल से 8 और सम्मेलन बोलिया और शामगढ़ मे आयोजित किए| पूरे समाज की विस्तृत जानकारी संगृहीत कर संपादित कर वेबसाईट पर स्थापित की||आज दर्जी समाज दुनिया का एक मात्र समाज है जिसकी इतनी विस्तृत जानकारी इन्टरनेट पर दर्ज हो चुकी है|यह जानकारी दर्जी समाज के अगाध महासागर के तुल्य है |सैंकड़ों काव्य रचनाएं,हजारों चिकित्सा लेखों की विस्तृत श्रंखला ,समाज जनों के हजारों चित्र नेट पर डालना -ऐसे ही अनेक कार्यों को साकार रूप देने मे मेरे आदरणीय दर्जी समाज का जो असीम सहयोग , स्नेह और मूहोब्बत मुझे मिली है वो मेरे लिए अकल्पनीय और अतुलनीय है|
-आपका अभिन्न सेवक-डॉ,आलोक

लाइक करें
कमेंट करें
शेयर करें