17.12.18

राठोड़ (राठौर) वंश के गोत्र आदि की जानकारी




राठोड़ो के गोत्र आदि इस प्रकार ह:****
(1) गोत्र --गोतम
(2)नदी--सरयू
(3)कुंड--सूर्य
(4)स्थान--अयोध्या पालगढ़ कन्नोज जोधपुर बीकानेर
(5)कुलदेवी--सतयुग में अभ्यन्न्दा त्रेता में भुन्न्दा व् राठेस्व्री द्वापर में पनख्नेच्या कलियुग में नागनेच्या व् करणी माता
(6)गुरु--वशिस्ठ व् गोतम
(7)शाखा--म्ध्यन्दिनी दानेसुरा
(8)पुरोहित--षोहड (सेवड)
(9)वेद--यजुर्वेद
(10)घोडा--दलसिंगार(सावक रण)
(11)तलवार--रणथली
(12)माला--रत्न की
(13)प्रवर--अंगीरा मोनक समाद
(14)वंश--सूर्य के दस वंशो में राठोड वंश
(15)धरम --सनातन
(16)गाय--कपिला
(17)नगारो --रणजीत
(18)निशान--पंचरंगा
(19)ढोल--भँवर
(20)ढोली--देधडा
(21)भाट--सिंगोलिया
(22)बारठ--रोहडिया
(23)बिरद--रण बंका राठोड
(24)उपाधि--कम्ध्व्ज भूरा राठोड
(25)भेरु--मंडोवर नाथ व् कोडमदेसर
(26)निकास--अयोध्धा पाल गढ़ कनोज जोधपुर
(27)चिन्ह--चील
(28)ईस्ट --सीता राम
(29)प्रणाम जय माताजी जय रघुनाथजी जय चारभुजा
(30)तिलक--रामानुज
(31)वर्क्ष--नीम
(32)गदी--आयोध्धा पाल गढ़ कनोज जोधपुर
(33)कुलदेव---पाबूजी राठोड
(34)झंडा--केसरिया कसूमल
(35)मन्त्र गोपाल
(36)खाडा जगजीत
(37)बंधेज--बांया
(38)तीर्थ--काशी
(39)राव--बडवा
(40)सूत्र--गोभिल
(41)किला--चिन्तामण
(42)भाखर--गंगेद
इस कुल ने बार बार ऐसे शूरवीरो को जन्म दिया ह। जिन्होंने अपनी वीरता त्याग बलिदान तथा अपने वचनों की खातिर अपने प्राण न्योछावर कर इस कुल का मान बढ़ाया ह। जो आज भि भोमिया;जुझार्जी;लोकदेवता;तथा अनेक रूपों में पूजे जाते ह। पाबूजी महाराज के बाद ओंम बन्ना जी इसका ताजा प्रमाण है|











कोई टिप्पणी नहीं: