13.9.17

राठौड वंश की कुल देवी माँ नागणेची जी का इतिहास


                                         

                                      नागनेची माता मंदिर नगाना धाम 
राठौड वंश की कुल देवी माँ नागणेची जी
राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी चक्रेश्वरी नागणेची या नागणेचिया के नाम से प्रसिद्ध है । प्राचीन ख्यातों और इतिहास ग्रंथों के अनुसार मारवाड़ के राठौड़ राज्य के संस्थापक राव सिन्हा के पौत्र राव धूहड़ ( विक्रम संवत 1349-1366) ने सर्वप्रथम इस देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया ।
राजा राव धूहड़ दक्षिण के कोंकण (कर्नाटक) में जाकर अपनी कुलदेवी चक्रेश्वरी की मूर्ति लाये और उसे पचपदरा से करीब 7 मील पर नागाणा गाँव में स्थापित की, जिससे वह देवी नागणेची नाम से प्रसिद्ध हुई। नमक के लिए विख्यात पचपदरा बाड़मेर जोधपुर सड़क का मध्यवर्ती स्थान है जिसके पास (7 कि.मी.) नागाणा में देवी मंदिर स्थित है।
अष्टादश भुजाओं वाली नागणेची महिषमर्दिनी का स्वरुप है।  


बाज या चील उनका प्रतीक चिह्न है,जो मारवाड़ (जोधपुर),बीकानेर तथा किशनगढ़ रियासत के झंडों पर देखा जा सकता है। नागणेची देवी जोधपुर राज्य की कुलदेवी थी। चूंकि इस देवी का निवास स्थान नीम के वृक्ष के नीचे माना जाता था अतः जोधपुर में नीम के वृक्ष का आदर किया जाता था और उसकी लकड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता था।
बीकानेर में नागणेचीजी का मंदिर शहर से लगभग 2 की.मी. दक्षिण पूर्व में अवस्थित है। देवी का यह मंदिर एक विशाल और ऊँचे चबूतरे पर बना है, जिसके भीतर अष्टादश भुजाओं वाली नागणेचीजी की चाँदी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। नागणेचीजी की यह प्रतिमा बीकानेर राज्य के संस्थापक राव बीका अन्य राजचिन्हों के साथ अपने पैतृक राज्य जोधपुर से यहाँ लाये थे।
नागणेचीजी बीकानेर और  आस पास के क्षेत्र में भी सर्वत्र वंदित और पूजित हैं। नवरात्र और दशहरे के अवसर पर अपार जनसमूह देवी के दर्शनार्थ मंदिर में आते हैं।








3 टिप्‍पणियां:

RS RATHORE ने कहा…

जय माँ कुलदेवी

RS RATHORE ने कहा…

jai mata ji

Unknown ने कहा…

जय मां श्री नागणेची मां जय श्री खेतलाजी जय श्री भेरुजी